Detailed Notes on Shodashi
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Inspiration and Empowerment: She's a symbol of toughness and braveness for devotees, especially in the context from the divine feminine.
कर्तुं श्रीललिताङ्ग-रक्षण-विधिं लावण्य-पूर्णां तनूं
देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥
हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां
The above mentioned a person is not a story but a legend along with a point as the man or woman blessed by Sodhashi Tripur Sundari, he becomes the regal person. He achieves everything as a result of his wisdom, wish and workmanship.
दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
Goddess Lalita is worshipped by numerous rituals and tactics, together with going to her temples, attending darshans and jagratas, and accomplishing Sadhana for the two worldly pleasures and liberation. Each Mahavidya, which includes Lalita, has a certain Yantra and Mantra for worship.
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra sharpens the mind, enhances focus, and enhances mental clarity. This reward is effective for college students, professionals, and those pursuing intellectual or Imaginative targets, since it fosters a disciplined and focused approach to jobs.
श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं
more info पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥